रविवार, 27 नवंबर 2011

कैलाश गौतम का एक भोजपुरी गीत

मैं अपने प्रिय कवि का एक भोजपुरी गीत पोस्ट कर रहा हूं। आप सुधीजनों के विचारों की हमें प्रतीक्षा रहेगी।  .  संपादक


 



  




कैलाश गौतम  
[08-01-1944-09-12-06]


कैलाश गौतम का एक भोजपुरी गीत



सुघर सुकुमार



पहिने किरनिया के हार

खिड़िकिया पर खाड़

भोरहरी श्रृंगार करे......3

झिलमिल झिलमिल कनवा के बाली

उतरे नहाइल कौनो सोनवा के रानी

लिहले शरीरिया के भार

सुघर सुकुमार

भोरहरी श्रृंगार करे......3

सतरंग चुनरी सूरज रंग विंदिया

नवरंग माथे में रचावेली मेंहदिया

जगमग जग उजियार

झरेला कचनार

भोरहरी श्रृंगार करे......3

पहिने किरनिया के हार

विहंसेला मोर मगन फुलवरिया

गंध में लथपथ कुसमी चुनरिया

भंवरा करेला गुंजार

पंखुरिया निहार......

भोरहरी श्रृंगार करे......3

पहिने किरनिया

भोरहरी श्रृंगार करे......3

पहिने किरनिया......।







4 टिप्‍पणियां:

  1. भोजपुरी गीत पढ़के मन प्रसन्न हो गइल । गीत मन के भीतर तक छू गइल। एह अनमोल रचना के पहुंचावे खाति धन्यबाद ।

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  2. कैलाश जी के भोजपुरी गीतों का मजा ही कुछ और है..हम सौभाग्यशाली है कि बलिया के ददरी मेले में उन्हें सुनने का हमें एक बार अवसर मिला था...आपके ब्लाग पर उनकी कविताओ को पढ़कर एक बार फिर मन गदगद हो गया...

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  3. Aarsi Bhai Bhojpuri Patrikaye nikal Bhojpuri Samaj ko Nai Unchai Dene ka kam kar rhi hai

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