सोमवार, 18 मई 2015

शिरोमणि महतो की दो कविताएं

 हम झारखण्ड के युवा कवि शिरोमणि महतो की कविताएं प्रकाशि कर रहे हैं। झारखण्ड में जीवन&यापन करते हुए वहाँ की जनपदीय सोच को अभिव्यक्त करना जोखिम भरा काम है। हमने शिरोमणि महतो की उन कविताओं को तरजीह दी है। जिसमें उनका जनपद] उनका परिवेश  मुखर होता है। बेशक अपने परिवेश के शिरोमणि महतो अच्छे प्रवक्ता हैं। इस उत्तर आधुनिक समय में झारखण्ड और वहां की चिन्ताएं विश्व&पटल पर रखने का कौशल शिरोमणि महतो में है। वह बड़ी बारीकी से आस&पास विचरण करते समय की चुनौतियों को महसूस करते हैं और अपनी जिम्मेदारियां समझते हैं कि ऐसे कठिन समय में एक लोकधर्मी कवि की क्या भूमिका होनी चाहिएA
 
शिरोमणि महतो की दो कविताएं--

कर्म और भाग्य

जिसका भाग्य साथ होता
उसके साथ लागू होता-
न्यूटन का तृतीय गति-सिद्धांत
कर्म के बराकर मिलता-फल

जिसका भाग्य मंद होता
उसके कर्म का भी फल मिलता
जैसे एक कड़ाही साग
सीझने के बाद बचता-एक कलछुल !

और जिसका भाग्य तेज होता
उसका कर्म-फल गई गुना अधिक होता
जैसे एक पैला चावल
खदककर हो जाता-एक डेगची भात !



 














औरतें

किसी दूसरे ग्रह से
नहीं आती आरतें
सबके घरों में होती हैं
द्वार की तरह....
भीतर जीवन का सार
और बाहर अनंत बिस्तार

औरतें हमारे लिए
दोनो हैं-उत्पाद और उत्पादक

सभी औरतें
एक जैसी नहीं होतीं
वे सभी क्षेत्रों में
दो धु्रवों में खड़ी दिखती
हैं....

कुछ औरतें
सींच रही हैं-
जीवन की जड़ो को
अपनी गोद में
खिला रही हैं-सृष्टि  को !

और कुछ औरतें
अपने उन्नत उरोजों से
उठा लेना चाहती है-
समूचा ब्रह्माण्ड !

औरतें-
चुनौती बनती जा रही हैं
औरतों के लिए....!



 



















शिरोमणि महतो
शिक्षा-  - एम हिन्दी

सम्प्रति-  - अध्यापन एवं महुआ पत्रिका का सम्पादन

प्रका- - - कथादेश, हंस, कादम्बिनी, पाखी, वागर्थ, कथन, समावर्तन, पब्लिक एजेन्डा, समकालीन भारतीय साहित्य, सर्वनाम, युद्धरत आम आदमी, शब्दयोग, लमही, पाठ, पांडुलिपि, हमदलित, कौशिकी, नव निकश, दैनिक जागरण पुनर्नवा विशेषांक ,दैनिक हिन्दुस्तान, जनसत्ता विशेषांक, छपते-छपते विशेषांक, राँची एक्सप्रेस, प्रभात खबर एवं अन्य दर्जनों पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित।

पता- - - नावाडीह बोकारो झारखण्ड -829144

                         मोबाईल-09931552982

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